राहुल गांधी से पूछे गरीब कि गरीबी नहीं हटने का जिम्मेदार कौन है?

गरीबों के साथ छल कपट में महारत हासिल कांग्रेस पार्टी फिर गरीबी हटाओ का नारा बुलंद कर रही है। हकीकत यह है कि जब देश में इंदिरा गांधी ने 1971 में 'गरीबी हटाओ' का नारा दिया था तब गरीबी हटाने के नाम का सारा पैसा कहां और किसी जेब में गया था। आज राहुल गांधी कह रहे हैं '21वीं सदी में गरीबी रहना बेईमानी लगती है।' इस बात से क्या वे अपनी दादी इंदिरा गांधी को बेईमान नहीं बता रहे हैं?

क्या राहुल गांधी को कांग्रेस का इतिहास नहीं पता है कि कांग्रेस पार्टी ने ही देश में सबसे ज्यादा शासन किया है। फिर गरीबी दूर करने में नाकाम रहने के लिए जिम्मेदार कौन है? तथ्य स्पष्ट है कि कांग्रेस पार्टी एक बार फिर आम जनता को धोखा देने जा रही है। उनके पिता राजीव गांधी ने प्रधानमंत्री रहते कहा था कि एक रुपए में 15 पैसे ही गरीबों तक पहुंचता है। यानी, उनके रहते भी पूरा सिस्टम फेल था। अगर कांग्रेस पार्टी की सरकार आ भी गई तो भी यह कोई गारंटी नहीं है कि यह पैसा गरीबों तक पहुंचेगा।

दरअसल, हर पार्टी के पास कार्यकर्ताओं की बहुत बड़ी फौज होती है और हर योजना का फायदा सबसे पहले वही उठाते हैं। गरीबों को तो इस बात की भनक तक भी नहीं लगती है कि उनके लिए कोई योजना शुरू की गई है। यही कारण है कि इंदिरा गांधी का 'गरीबी हटाओ' मात्र नारा बन कर ही रह गया। और जब 1977 में फिर चुनाव हुए तो 'इंदिरा हटाओ' का नारा बुलंद हो गया। आज के परिप्रेक्ष्य में राहुल गांधी की न्यूनतम आय योजना 'न्याय' का वादा छलावे के अलावा और कुछ नहीं है।

100 दिन बाद भी नहीं निभाया किसानों से किया वादा 

तीन महीने पहले राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने 10 दिन में किसानों का कर्जमाफ करने का वादा किया था लेकिन सरकार बनने के 100 दिन बाद भी वादा पूरा नहीं हो पाया। कर्जमाफी के वादे का हाल यह है कि पहले तो संपूर्ण कर्जमाफी का वादा किया गया। सरकार बनने के बाद कहा गया कि 2 लाख रुपए तक का कर्जमाफ होगा और अब किसानों को जो प्रमाण पत्र बांटे गए हैं वे सिर्फ 15—15, 20—20 हजार रुपए की कर्जमाफी के थे। क्या राहुल गांधी ने किसानों के साथ छलावा नहीं किया।

टिप्पणियाँ

  1. आपकी ब्लॉग पोस्ट को आज की ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति 47वीं पुण्यतिथि - मीना कुमारी और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। एक बार आकर हमारा मान जरूर बढ़ाएँ। सादर ... अभिनन्दन।।

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