'अमृतम् जलम्' का शंखनाद

जयपुर (राजस्थान) से लौटकर
पिछले दिनों इंदौर में राजस्थान पत्रिका का सालाना उत्सव 'अमृतम् जलम्' के शंखनाद के अवसर पर श्रमदान करने के लिए जन सैलाब उमड़ पड़ा. इतने बड़े जन सैलाब को देखकर हर किसी की आखें फटी की फटी रह गई. जनसरोकार से जुडा यह अभियान पांच साल पहले राजस्थान राज्य में शुरू हुआ था, जो निरंतर प्रतिवर्ष एक बड़े युध्द स्तर प्रारंभ होने के साथ ही लोग इससे जुड़ते चले जाते हैं. धरती धोरां री में हर साल अप्रेल माह के पहले सप्ताह में होने वाले राजस्थान पत्रिका 'अमृतम् जलम्' अभियान हजारों की तादाद में लोग जल संरक्षण जल संग्रहण के लिए उमड़ते हैं. अप्रेल, मई व जून माह की तपती गर्मी में भी लोगों में भरपूर जोश व उत्साह नजर आता है.
भीषण गर्मी भी उनके आगे ठंडी पड़ जाती है. पिछले पांच साल भीतर राजस्थान में सैकड़ों जलस्रोतों की कायापलट इस अभियान के माध्यम से ही हुई है. मिट्टी के ढेर में दबी प्राचीन बावड़ियों को कालकलवित होने से बचाकर लोगों ने पुण्य कमाया है. आज देश में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में ऐसे ही अभियान से पानी की किल्लत झेलने बचाया जा सकता है या यूं कहे इसी तरह के अभियानों की जरूरत है. 'अमृतम् जलम्' अभियान का उद्देश्य जलस्रोतों की सफाई कर बारिश का पानी उस तक पहुंचा कर भू-जल स्तर बढ़ाना है. राजस्थान में मरुस्थल की गोद में बसा बीकानेर हो या थार मरुस्थल चूरू जिला या हनुमानगढ़, जालोर, झुंझुनूं, जोधपुर, नागोर, पाली, सीकर या श्रीगंगानगर जिला हो, सभी जिलों में सूखे के कारण पानी की त्राहि-त्राहि मची रहती हैं. इस अभियान के तहत जयपुर जिले में तालकटोरा, प्रभातपुरी का खोला, कालीमाता की बावड़ी, गोनेर स्थित जगन्नाथ सागर, हनुमानजी की बावड़ी, खोह-नागोरियां बावड़ी आदि जलस्रोतों की सफाई करने सहित कई बड़ी छतों से व्यर्थ बहने वाले पानी को भू-गर्भ में पहुंचाने के लिए वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से जोड़ा गया. कहा जाता है कि अगर राज्य में आज एक बारिश भी जमकर हो जाए, तो लोगों को पानी के लिए इधर-उधर नहीं भागना पड़ेगा. बशर्ते, जलस्रोत साफ रखे जाएं. यह एक ऐसा अभियान है, जिससे जुड़ने कि हर कोई तमन्ना रखता है. इसमें लोगों को श्रमदान करता देख राज्य के कई प्रमुख विभागों कि नींद टूटी. और, वो भी पुण्य के भागीदार बनाने के लिए चले आएं. अगर जयपुर नगर निगम कि बात कि जाए, जो उसने पिछले साल तालकटोरे के जीर्णोध्दार के लिए दस करोड़ रुपए प्रस्तावित किए थे. इससे पूर्व जयपुर विकास प्राधिकरण ने भी जयपुर की कई बावड़ियों का जीर्णोध्दार करवाया था. इस अभियान में श्रमदान करने के लिए सांसद, विधायक, पार्षद स्वत: चले आते हैं. इतना ही नहीं भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी भी श्रमदान में फावड़े चलते हैं. राज्य में यह अभियान शुरू होने में एक-दो दिन भी देरी हो जाती है, तो पूछताछ का दोर शुरू हो जाता है. युवा, पुरुष व महिलाएं अल-सुबह श्रमदान के लिए श्रमदान स्थल पर पहुंच जाते हैं. स्कूली बच्चों में खासी चर्चा रहती है इस अभियान के लिए. वे जन-जन में जल संरक्षण की अलख जगाने लिए रेलियां निकलते हैं. जल संरक्षण व जल संग्रहण के लिए आज 'अमृतम् जलम्' अभियान जनता की आवाज बन चूका है. अभियान से जुड़ने वाला हर शख्स यही कहता है 'बिन पानी सब सून'.

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