धोनी नहीं, यह है भारत की हार का असली जिम्मेदार

icc cricket world cup : विश्वकप के सेमी फाइनल मुकाबले में न्यूजीलैंड से भारत की हार का जिम्मेदार महान क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी का मान रहे हैं। जबकि धोनी (dhoni) ने तो इस मैच में पचास जड़ा था। ये रन 72 गेंदों पर बनाए थे। प्रशंसक मानते हैं कि धोनी ने धीमा खेला। अगर वे 72 गेंदों पर 72 रन बना लेते तो भारत जीत जाता। जबकि क्रिकेट टीम में 11 खिलाड़ी होते हैं और सेमी फाइनल में सभी 11 खिलाड़ियों ने बल्लेबाजी की थी। लेकिन रवींद्र जडेजा (ravindra jadeja) से ज्यादा रन नहीं बना सका। जडेजा ने चार छक्कों की मदद से 77 रन बनाए थे। उनकी पारी देखकर लग रहा था कि वे भारत जीता देंगे। लेकिन अचानक से जडेजा के आउट होते ही सारी उम्मीदें धोनी से बंध गई जबकि धोनी पहले से ही धीमी गति से खेल रहे थे और जल्दी रन बनाने के चक्कर में वे भी रन आउट हो गए। गुप्टिल ने दूर से ही ऐसा निशाना साधा कि दूसरा रन बटोरते वक्त स्टम्प उड़ गए। धोनी के आउट होते ही विश्वकप जीतने के सपने चकनाचूर हो गए। जडेजा के बाद धोनी ने ही सबसे अधिक रन बनाए थे लेकिन फिर भी दोष धोनी को ही दिया जा रहा है। जबकि शीर्ष क्रम के तीनों बल्लेबाज रोहित शर्मा (rohit sharma), विराट कोहली (virat kohli) और केएल राहुल एक—एक रन बनाकर आउट हो गए। जबकि इस मैच में उन्हीं की सबसे ज्यादा जरूरत थी। कहीं ऐसा तो नहीं कि क्रिकेट जगत का एक गुट दबाव बनाकर धोनी को रिटायर करने में लगा है। अगर यह जीत मिलती तो इसका क्रेडिट कप्तान विराट कोहली को दिया जाता लेकिन हार का ठीकरा उन पर नहीं फोड़ा जा रहा और न ही रवि शास्त्री पर। 

क्यों​ भूल गए माही का योगदान

खेल और जीवन में हार और जीत लगी रहती है। आउट होने के बाद धोनी बेहद भावुक हो गए थे और उन्हें देखकर दुनियाभर के क्रिकेट प्रेमी भी। यह वही माही है जिनका क्रिकेट के जगत में नाम ही काफी है। ऐसे महान क्रिकेटर को आखिर क्यों रोना पड़ा मैदान पर। यह वही महेंद्र सिंह धोनी है जिन्होंने 2011 में टीम इंडिया का कप्तान रहते हुए विश्वकप जिताया था। उस वक्त श्रीलंका से हुए फाइनल मुकाबले में धोनी ने धुआंधार पारी खोली थी। जबकि उनके दो विकेट जल्द जल्द गिर गए थे। लेकिन आज उन उंगलियां उठाई जा रही है। इधर, उन्हें भावुक देखकर लता मंगेशकर ने उन्हें संन्यास लेने से मना किया। उन्होंने कहा, देश और टीम को उनकी जरूरत है। आॅस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान स्टाव वॉ ने भी महेंद्र सिंह धोनी का समर्थन किया है। उनका कहना है कि किसी को हक नहीं कि धोनी को संन्यास कब लेना चाहिए।

अक्सर बड़े मैचों में लड़खड़ा जाता है शीर्ष क्रम

इससे पहले भी भारतीय क्रिकेट टीम का शीर्ष क्रम लड़खड़ाता रहा है। अक्सर टीम बड़े टूर्नामेंट के सेमी फाइनल या फाइनल में पहुंचते ही शीर्ष क्रम के बल्लेबाज जल्द ही आउट हो जाते हैं। विश्वकप टी20, विश्वकप 2015 के सेमी फाइनल में ऑस्ट्रेलिया से और चैंपियंस ट्रॉफी में फाइनल मुकाबले में पाकिस्तान के सामने शीर्ष क्रम नहीं टिक पाया था। जबकि इस बार भी विश्वकप के सेमी फाइनल में न्यूजीलैंड के सामने शीर्ष क्रम लड़खड़ा गया। लेकिन इसमें सुधार नहीं किया गया। जबकि टीम को चार नंबर का खिलाड़ी तक नहीं मिल पा रहा है।

गावस्कर भी कर रहे आश्चर्य

इधर, महान क्रिकेटर सुनील गावस्कर भी आश्चर्य कर रहे हैं कि धोनी को सातवें नंबर पर क्यों भेजा गया जबकि नए खिलाड़ी के साथ उनको भेजा सकता था। क्योंकि धोनी बहुत अनुभवी खिलाड़ी है और नए खिलाड़ी को वे प्रेरित कर सकते थे। जिससे भारत आसानी से जीत सकता था। यहां तक कि वे तो यह भी मानते हैं कि टीम में कुछ खिलाड़ियों का चयन गलत हुआ है। अगर अंबाती रायडु का चयन किया जाता तो उन्हें चार नंबर पर लाया जा सकता था। हालांकि यह पहले से ही जग जाहिर है कि टीम में कुछ खिलाड़ियों का चयन गलत हुआ है। चयन समिति के सदस्यों ने अपनी मनमर्जी से खिलाड़ियों का चयन​ किया था जिसका परिणाम भारत को हार के रूप में भुगतना पड़ा। विश्वकप में भारत के सफर के दौरान गावस्कर ने कहा भी था कि भारत दो ही बल्लेबाजों की टीम लग रही है।


सच हुई भविष्यवाणी

केविन पीटरसन ने पहले ही कह दिया था कि जो भारतीय टीम को हराएगा वही विश्व विजेता बनेगा। फाइनल में पहुंची दोनों टीमों ने भारत को हराया है। इसका मतलब यह हुआ कि दोनों टीमें भारत से मजबूत है और फाइनल में जाने की हकदार भी।

अब आगे क्या

भले ही यह विश्वकप भारत के हाथ से छूट गया लेकिन आगे और भी विश्वकप बचे हैं। भारतीय टीम को उसके लिए मेहनत करनी है। टीम में ऐसे खिलाड़ियों का चयन किया जाए जिस पर कभी उंगली नहीं उठाई जा सके। वे अपना शत प्रतिशत मैच में दें। अगर कोई लगातार कुछ मैचों में सही नहीं खेल पाता तो उसे बाहर का रास्ता दिखाए। साथ ही किसी भी खिलाड़ी के साथ अन्याय न हो।​ खिलाड़ी को पहले ही यह बता दिया जाए कि फलां मैच आपका संन्यास मैच होगा। इसलिए जितना बेहतर कर सकता है वह करके जाए।

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