लॉकडाउन बढ़ाने के साथ यह काम करना भी बेहद जरूरी

देश के कई राज्यों के मुख्यमंत्री लॉकडाउन की अवधि बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। क्योंकि हर राज्य में कोरोना से हालात बिगड़ते जा रहे हैं। जब देश में 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा हुई थी तब लग रहा थी कि इस अवधि में कोरोना का कहर थम जाएगा। लेकिन लॉकडाउन के उद्देश्य में सफलता नहीं मिली। अगर यह सफल होता तो देश में हालात कुछ और होते। सरकार ने जांच तो बढ़ाई है, लेकिन 21 दिन के लॉकडाउन में सभी की जांच नहीं हो पाई। हालांकि भारत के पास जांच के पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं होने के कारण कोरोना से निपटने में वक्त लग सकता है लेकिन इसके बदले देश को बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है। इस वक्त किसी के भरोसे बैठना भी ठीक नहीं है। 
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर लॉकडाउन की अवधि बढ़ाई जाती है तो पहले के मुकाबले कई गुना ताकत के साथ लड़ना होगा। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले की कह चुके हैं यह एक लंबी लड़ाई है लेकिन वक्त आ गया है जब इसका सफलता से डट कर मुकाबला करना है। क्योंकि देशवासी अमरीका, इटली, स्पेन, फ्रांस का अंजाम देख ही रहे हैं। अगर उस जैसे अंजाम से बचना है तो लापरवाही और गलतियों से बचना होगा और हर समय सावधान रहना होगा। देशवासियों को सरकार का साथ देना होगा। भारत से कई देश मलेरिया की दवा की मांग कर रहे हैं और भारत ने इस मुश्किल घड़ी के बावजूद दूसरे देशों में दवा के निर्यात के रास्ते खोल दिए हैं लेकिन पहले देश की जरूरतों को पूरा करेंगे।


नहीं झुठला सकते इस सच को

इस सच को भी झुठलाया नहीं जा सकता कि तबलीगी जमात की वजह से कोरोना के मामले बढ़े हैं। लेकिन जमात से निपटने में ढिलाई बरती गई। जमात से साथ सरकार बहुत नरमी से पेश आती दिखी। सरकार से ज्यादा सख्त तो मीडिया और जमात के विरोधी नजर आए। जमात की उदंडता तो अभी भी थमती नजर नहीं आ रही है। जब से जमात का मामला सामने आया है सरकार, अस्पताल, प्रशासन और जन मानस इसी में व्यस्त होते दिखे, जैसे उन्हें और कोई काम ही नहीं। सरकार को इनके साथ ऐसा सलूक करना चाहिए था जिससे कीड़ों की तरह सब निकलकर बाहर आ जाते। जन मानस का कहना है कि जमात को गैर-कानूनी घोषित किया जाए और देश में जहां जहां भी इनकी सम्पत्ति है उसे सरकार को जब्त कर लेना चाहिए। उनका यह भी कहना है कि चीन ने जिस तरह से पूरी दुनिया को संकट में डाल है उसी तरह से जमात ने देश को संकट में डाल दिया है। सरकार को जमात के लोगों का इलाज मुफ्त में नहीं करना चाहिए, जिस जिस जमाती का भी इलाज हो रहा है उसकी सम्पत्ति जब्त करके ही उसका इलाज करना चाहिए। नहीं तो सरकार पर भार पड़ेगा। साथ ही इलाज करा रहे दूसरे मरीजों में गलत संदेश जाएगा।

ऐसी नौबत न आ जाए

अगर भारत में अभी भी जांच का दायरा सीमित ही रहता है तो आने वाले दिनों में भारत बहुत बड़ी मुश्किल में घिर जाएगा। अमरीका और इटली जैसे देशों में लाशों के ढेर पड़े हैं। उन्हें कोई छू तक नहीं रहा। अमरीका में 12 हजार से ज्यादा, इटली में 17 हजार और स्पेन में 14 हजार से ज्यादा लोग मर चुके हैं। देश में ऐसी नौबत न आए इसके लिए सावधान रहने की जरूरत है। कहा जाता है कि 19वीं सदी में जब भारत में प्लेग फैला था तब अकेले भारत में एक करोड़ लोग मारे गए थे।



शायद ही कोई देश बचे

दुनिया के छोटे बड़े 209 देश कोरोना भी चपेट में आ चुके हैं। अभी कुछ देश हैं जहां कोरोना नहीं पहुंचा है लेकिन जिस तरह से कोराना का कहर जारी है उससे लगता कि इस वायरस से शायद ही कोई देश बचे। हालांकि यह नहीं कहा जा सकता कि वहां की सरकारें कोरोना को किस तरह से ले रही हैं लेकिन इससे हर किसी को सचेत रहना चाहिए। अगर शुरुआत में भारत सहित दुनिया के सभी देश सचेत रहते तो कोरोना का संक्रमण इतना प्रभावी कभी नहीं होता। 

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