महंगाई का ग्राफ बढ़ रहा, पर आम जनता की तनख्वाह नहीं

price hike : सरकार से निवेदन है कि पेट्रोल के दाम 100 रुपए क्या 200 रुपए प्रति लीटर कर दो, लेकिन आम जनता की आमदनी उसी ग्राफ से बढ़ाए ताकि आम जनता महंगाई के इस बोझ को हंसते हंसते उठा सके। 

केंद्र सरकार महंगाई केंद्रीय कर्मियों की आमदनी के हिसाब से बढ़ाती है। केंद्रीय कर्मियों की तनख्वाह हर साल बढ़ा देती है। सांसदों, विधायकों और मंत्रियों की तनख्वाह भी बार बार बढ़ा दी जाती है लेकिन आम जनता अपनी उसी आमदनी पर अटका रहता है दशकों तक। जबकि सरकारी काम किस गति से होते हैं आम जनता बखूबी जानती है। एक-एक फाइल को आगे सरकाने में कई साल गुजर जाते हैं। कई योजनाएं कागजों में ही चलती रहती हैं। यानी सरकारी कारिंदों को केवल साइन करने में ही लंबा समय लग जाता है जो आम जनता को बहुत डराता है। 



प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

ये सवाल मांग रहे हैं केंद्र व राज्य सरकारों से जवाब

1# केंद्र और सभी राज्य सरकारें बताएं कि उन्होंने आम जनता की आमदनी बढ़ाने के लिए अब तक क्या किया? 

2# सभी सरकारें बताएं कि बीते एक दशक में महंगाई के प्रतिशत के हिसाब से कितने प्रतिशत आम जनता की आमदनी बढ़ाई गई?

3# सरकारें यह भी बताएं कि आम जनता अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए किससे गुहार लगाएं?

4# सरकारें बताएं कि आमदनी बढ़ाने की गुहार के नतीजे कितने दिन में आ जाने चाहिए? ताकि आम जनता दूसरे रास्ते अपनाएं।

5# सरकारें कहती हैं कि देश में बहुत कम लोग टैक्स देते हैं। जिसकी आमदनी ही नहीं वो बेचारे टैक्स कहां से देंगे? सच यह भी है कि आम जनता इनकम टैक्स के अलावा दवा से लेकर सभी प्रकार के टैक्स देती है।


सत्ता में काबिज होने का तरीका 

महंगाई पर क्या राजनीतिक दल बाहर लड़ते रहते हैं लेकिन भीतर से सब एकजुट रहते हैं। लेकिन महंगाई की चोट सिर्फ आम जनता को ही सहनी पड़ती है। लेकिन उनकी आवाज उठाने वाला देश के किसी भी कोने में नजर नहीं आ रहा है। चुनाव के दौरान विरोधी दल महंगाई को मुद्दा बनाते हैं लेकिन जब महंगाई के मुद्दे पर चुनाव जीतने के बाद सत्ता पर काबिज होते हैं तो सबकुछ भूल जाते हैं। केंद्र में मौजूदा भाजपा की सरकार ने भी 2014 में लोकसभा चुनाव से पहले महंगाई कम करने को लेकर कई वादे किए थे लेकिन उसका दुष्परिणाम आज भुगतना पड़ रहा है। 



सत्ता में काबिज होने के थे बिंदू

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2014 से पहले जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर महंगाई कम करने को लेकर कई बिंदु बताए थे जिससे महंगाई पर लगाम कसी जा सकती थी। लेकिन आज नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री है लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र में बताए गए एक भी बिंदू पर काम नहीं कर रहे हैं। या फिर  किसी बिंदू पर काम भी किया है तो महंगाई को रोकने में नाकाम हो गए। यानी वे बिंदू महंगाई रोकने के काम के नहीं थे ​बल्कि सत्ता पर काबिज होने के थे। 



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