मजा तो तब आएगा...
विधानसभा (कर्नाटक) से
मजा तो तब आएगा जब बजट में मिली खुशियों लाभ जनता तक पहुंचेगा न कि पूर्व में प्रस्तावित योजनाओं की तरह धराशाई हो जाए. उन चेहरों पर भी मुस्कान तभी दिखेगी. जनता को लुभाने के लिए विधानसभा में मुख्यमंत्री ने आज सालभर खुशियों की पोटली खोल दी. जनता ने भी सराहना की. मन प्रफुल्लित हो गया. लोगों ने कई ख्वाब देखने प्रारंभ कर दिए. लगभग 59 हजार करोड़ रुपए के इस बजट में सभी वर्गों का ध्यान रखा गया है. किसी में कोई कोर- कसार नहीं छोड़ी. इस बजट को पूरी तरह से चुनावी रंग दिया गया है. राज्य की जनता को अपनी पार्टी की ओर खिंचने की. लेकिन जनता तो वो ही करेगी, जो करना है. ना तो उन्होंने किसी की कभी मानी ओर ना ही किसी की मानेंगे.
चाहे इसे कितना ही चुनावी रंग में रंग दिया जाए. अगर किसान वर्ग की बात की जाए तो आज भी उन लोगों को कृषि योजनाओं के बारे में अंजान है. फिर आई-गई सरकारें तो इस बारे में सोचना ही नहीं चाहती हैं. उनका तो राम ही रखवाला है.
मजा तो तब आएगा जब बजट में मिली खुशियों लाभ जनता तक पहुंचेगा न कि पूर्व में प्रस्तावित योजनाओं की तरह धराशाई हो जाए. उन चेहरों पर भी मुस्कान तभी दिखेगी. जनता को लुभाने के लिए विधानसभा में मुख्यमंत्री ने आज सालभर खुशियों की पोटली खोल दी. जनता ने भी सराहना की. मन प्रफुल्लित हो गया. लोगों ने कई ख्वाब देखने प्रारंभ कर दिए. लगभग 59 हजार करोड़ रुपए के इस बजट में सभी वर्गों का ध्यान रखा गया है. किसी में कोई कोर- कसार नहीं छोड़ी. इस बजट को पूरी तरह से चुनावी रंग दिया गया है. राज्य की जनता को अपनी पार्टी की ओर खिंचने की. लेकिन जनता तो वो ही करेगी, जो करना है. ना तो उन्होंने किसी की कभी मानी ओर ना ही किसी की मानेंगे.
चाहे इसे कितना ही चुनावी रंग में रंग दिया जाए. अगर किसान वर्ग की बात की जाए तो आज भी उन लोगों को कृषि योजनाओं के बारे में अंजान है. फिर आई-गई सरकारें तो इस बारे में सोचना ही नहीं चाहती हैं. उनका तो राम ही रखवाला है.
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