आडवाणी कांग्रेसी, सोनिया भाजपाई

विशेष सूत्रों से पता चला है कि भाजपा के धुरंधर व वरिष्ट नेता लालकृष्ण आडवाणी ने खुले मैदान में यह ऐलान कर दिया है कि वो आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से बतोर उम्मीदवार उतरेंगे. इसके विपरीत हमेशा कांग्रेस से हाथ में हाथ मिलाकर चलने वाली विदेशी महिला की जन्म से उपाधि प्राप्त कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यश सोनिया गांधी भाजपा से चुनावी मैदान में उतरने का हल्ला बोला है. इससे दोनों पार्टियों की पतलून उतरती नजर आ रही है. इस बात को सुनते ही भाजपा के ऐतिहासिक व प्राचीन धरोहर अटलबिहारी वाजेपयी की तबियत में फिर से गिरावट दर्ज की गई हैं. हालांकि, भाजपा ने तुरत-फुरत में राष्ट्रीय अध्यश राजनाथ को प्रधानमंत्री की दोड़ में वरीयता सूची में आडवाणी के बाद नंबर होने के आधार पर नाम सामने रखा है. उधर, सोनिया ने कांग्रेस को मुहं चिढ़ाते हुए कहा कि कांग्रेस से बुरा कोई राजनीतिक दल है ही नहीं. इसका पतन निश्चित है. जिसे आने वाली सात पीढियां भी विलुप्त होने से नहीं बचा सकती. और विलुप्त ऐसी होगी जिसके अवशेष तक ढूंढ़ते रह जाएंगे. अब दोनों बड़े नेताओं के लिए मैदान तो वही है, लेकिन पार्टियां बदल चुकी हैं. भारत का अधमरा प्रधानमंत्री व सोनिया का चाटुकारी डॉ. मनमोहन सिंह ने सोनिया को दीदी-दीदी कह कर रोकने की मिन्नतें कीं. इसके लिए उन्होंने सात रेसकोर्स में तगड़ा पहरा लगवा दिया, लेकिन एन मोके पर पहुंचे बिना इंजन-बिना सीटी के रेलमंत्री लालू ने 'बहना बहना' कहकर सबका ध्यान बहका दिया. इस पर अक्सर विदेशों में जीवन यापन करने वाले तुर्रमखां प्रणब मुखर्जी ने तुरंत पियकड़ व घसेड पत्रकारों को अपना बयान जारी कर कहा कि हम तो कब से कह रहे हैं. इस विदेशी महिला को कांग्रेस में आना ही नहीं था. भगोड़ी कहीं की. उधर, भाजपा राष्ट्रीय अध्यश राजनाथ ने अपना थोबड़ा मलते हुए कहा कि इसका तो हमें आडवाणी के चालचलन से ही पता चल गया था कि वह यहां से किसकने वाले हैं. ख़ैर भगवन रामचंद्र ने हमारी सुन ली. इसलिए पिछले पांच साल से प्रधानमंत्री कि दावेदारी ठोक रहा बुढ्व खुद-ब-खुद मेरे रास्ते से हट गए. वरना, पांच बाद में भी बूढा हो जाता. उन्होंने अपने टकले पर हाथ फेरते हुए एक राज की बात खोली कि देश के खडूस पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी और दावेदार आडवाणी दोनों रत को सब से चुपके-छुपाके सोनिया से मिलने जाते थे और पार्टी कि सारी पोलपट्टी खोल देते थे. राजनाथ ने कहा कि मेरे गुप्तचरों का कहना है कि इन दोनों नेताओं ने राजनीति की पारी कांग्रेस से ही शुरू की थी, जिसमें दोनों टचपूंजे कार्यकर्ता हुआ करते थे. जो गोर से देखने पर भी आंखें ही तो मीच जाती थी, लेकिन दोनों दिखाई नहीं देते थे.
(होली है होली)

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