मुद्दा बना काला धन


भाजपा के वरिष्ट नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने विदेशी बैंकों में छुपा भारतीय काला धन को वापस लाने की बातें कर रहे हैं. अगर विदेशी बैंकों में जमा यह रकम किसी भी तरह से भारत में आ गई तो इससे भारत को आर्थिक मंदी से लड़ने में मदद मिलेगी. हालांकि, भाजपा के चुनावी मुद्दों में यह मुद्दा शामिल नहीं था. लेकिन ऐसा मानिए कि लाल कृष्ण आडवाणी की जुबान फिसल गई और वो इस मुद्दे पर खुलकर बोलने लगे. आज उनके इस मुद्दे को अपना कर विभिन्न राज्यों के क्षेत्रीय दल भी इस मुद्दे पर बोलने लगे जिनकी जुबान कल तक सिली हुई थी. वही कांग्रेस कह रही है कि आडवाणी के पास कोई मुद्दा नहीं होने के कारण वो बेकार के मुद्दों को उठाकर सत्ता में आना चाहते हैं. क्योंकि आडवाणी जोड़तोड़ कर कैसे ना कैसे प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं. साथ ही कांग्रेस यह भी कहती है कि आडवाणी ने चुनावों से पहले तो इस मुद्दे पर कभी बोले नहीं और आज एक साथ जागे हैं, लेकिन ऐसा नहीं है आडवाणी इससे पहले भी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को इस बारे में बता चुके हैं, लेकिन उन्होंने इस पर कोई कदम नहीं उठाया और न ही अपनी कोई प्रतिक्रिया दी. अब भला इसमें गलती किसकी हैं.
जो काम सरकार को करना चाहिए था वो काम भी भाजपा ने टास्क फोर्स बना कर दिया. टास्क फोर्स की रिपोर्ट की माने तो यह काला धन भारत के लिए ही खतरनाक साबित हो सकता है. क्योंकि आतंककारी भारत में आतंकी गतिविधिओं को अंजाम देने के इरादे से इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. ख़ैर, इस पर अब केंद्र सरकार कितनी सक्त होती है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा. आडवाणी ने अपनी सरकार के सत्ता में आ जाने पर इस 140 खरब रुपए की राशि को मात्र 100 दिन में लाने का वादा कर रहे हैं.
कल तक राम मंदिर बनाने की बात करने वाले आडवाणी को ऐसो मुद्दों को सुन कर लोगों को भी अब कई बाते समझमे आने लगी हैं. भाजपा राम मंदिर और राम सेतु जैसे मुद्दों को ज्यादा तूल देती दिखाई नहीं दे रही हैं. शायद, भाजपा अब हर वर्ग की बात करने लगी है.

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