एक ऐसा करार हो...


कांग्रेसनीत संप्रग गठबंधन की नैया अमरीका से हुआ परमाणु करार ही लगाएगा. क्योंकि अपने पांच साल के शासनकाल में परमाणु करार ही ऐसा रहा है जिस पर भारी विरोध होने के बावजूद कांग्रेस अपने मोर्चे पर डटी रही. इसके बदले भाजपा संसद में नोट उछाल कर भी कांग्रेस का बाल तक बांका नहीं कर सकी. इतना ही नहीं भाजपा के कुछ सांसद पार्टी से नाता तोड़ कर कांग्रेस में विलीन हो गए. इन सांसदों को बाद में भाजपा के कुछ कार्यकर्ताओं के गुस्से का सामना करना पड़ा. कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव जीत गई और भाजपा इस पूरे तमाशे को देखती रह गई, वही बड़ी-बही बातें करने वाले वामदल हाथ मलते रह गए. वास्तव में कांग्रेस ने करार पर उठाए गए कदमों में दृढ़ता थी. चाहे उसके बदले उसे किसी भी इसती से लड़ना होता और वह लड़ती. कांग्रेस की जगह अगर और कोई पार्टी होती, तो उसे भी इसे ही कदम उठाने चाहिए थे. कांग्रेस को देश हित में अपने कदम वापस खिंचना नामंजूर था. इसका परिणाम भी सुखद रहा. कांग्रेस का कहना है कि इस करार से गांवों-गांवों में बिजली पहुंचेगी, लेकिन यह तो वक्त ही बताएगा कि जहां 50 साल राज करने के बाद भी अभी तक गांवों में बिजली नहीं पहुंची, वहां एक परमाणु करार कर लेने से बिजली उपलब्ध हो जाएगी. अगर ऐसा है तो कांग्रेस को 10-15 करार और कर लेने चाहिए, जिससे देश का हर वर्ग मूलभूत सुविधाएं पा सकें. और कोई ऐसा करार भी कर ले, जिससे जहां बाढ़, अकाल या अन्य प्राकृतिक आपदा आने पर उन तक तुरन्त राहत पहुंचाई जा सके.

  • एक ऐसा करार हो जहां स्कूलों के पास भवन हो.
  • एक ऐसा करार हो जहां हर शख्स शिक्षित हो.
  • एक ऐसा करार हो जहां पेयजल, यातायात सुविधा उपलब्ध हो.
  • एक ऐसा करार हो जहां सड़कों पर गड्ढे ना हो.
  • एक ऐसा करार हो जहां कोई दुखी ना हो.
  • एक ऐसा करार हो जहां शांतिप्रिय माहौल हो.
  • एक ऐसा करार हो जहां हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई कि जगह मानवता व इंसानियत बात हो.
  • एक ऐसा करार हो जहां कोई अपराधी ना हो.

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