किसके हाथ लगेगी 'बाजी', कौन खाएगा 'मात'

आम चुनाव के चार चरणों के चुनाव कुछ जगहों को छोड़कर राजी-ख़ुशी निपट गए. अब पांचवां और अंतिम चरण बाकी है, जो 13 मई को होना है. उम्मीद हैं यह चरण भी कुशलपूर्वक होगा. 16 मई को किस्मत का पिटारा खुलेगा. रोजाना राजनीति चालें चली जा रही हैं. सत्ता हथियाने के लिए नेता अपनी-अपनी गोटिया फिट करने में लगे हुए हैं. पता नहीं कौन किसके साथ जाएगा और कौन अकेला रह जाएगा. राजनीति की इस शतरंज में किसके हाथ लगेगी बाजी और कौन खाएगा मात. कौनसा राजनेता किसके सीने पर करेगा वार और किसकी पीट पर घोपेगा छूर्रा. किसी को कुछ पता नहीं. सारे पत्ते मुट्टी में बंद हैं. प्रधानमंत्री बनने की आवाज मुखर होती जा रही है एक-दूसरे के लिए. भाजपा के प्रधानमंत्री उम्मीदवार लालकृष्ण आडवाणी है, तो कांग्रेस के डॉ. मनमोहन सिंह. उधर हाथी पर सवार बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती अपनी आवाज बलंद करती दिखाती हैं, तो बीच में ही जनता दल-धर्मनिरपेक्ष के एच.डी. देवेगौड़ा भी जनता से गुजारिश करते हैं बस एक बार-आखिरी बार फिर इसके बाद कभी नहीं, बल्कि राजनीति से ही संन्यास ले लूंगा. अन्नाद्रमुक के नेता अन्नाद्रमुक की सुप्रीमो जयललिता में अचानक से प्रधानमंत्री के गुण नजर आने लगे हैं. वहीं पर बीच-बीच में ऐसे ही गुण कांग्रेस को राहुल गांधी में लगने लगे थे, मामला तब शांत हुआ जब राहुल गांधी ने खुद ने इन बातों को निराधार बताया, जिसमे उसकी मां सोनिया गांधी ने भी समर्थन किया, नहीं तो कुछ बातूनियों ने तो उन्हें बिन चुनावों के ही प्रधानमंत्री बनाने में कोई कोर-कसार नहीं छोड़ी थी. यहां पर एक बात और याद दिलाना चाहूंगा, शायद आपको भी पता होगा. जिस समय अर्जुन सिंह को राहुल गांधी में प्रधानमंत्री के व्यक्तित्व नजर आए थे तब सभी ने उन्हें 'चापलूस' बताया था. जबकि उन्होंने कांग्रेस के भविष्य के हालातों को भाप चुके थे. कहीं पर ऐसा ना हो जाए प्रधानमंत्री बनने का सभी दम्ब भरते रह जाएं और प्रधानमंत्री दूसरा ही बन जाए. हमने देशवासियों के दिल व मन को टटोला तो बस एक ही बात निकल कर सामने आई कि प्रधानमंत्री ऐसा हो जो देश हित में निर्णय ले और उसमे विलंब भी ना हो. हालांकि अभी सबकी किस्मत ईवीएम में बंद हो चुकी है और कुछ की होने वाली हैं. कौन किस पर भारी पड़ेगा यह तो समय ही बताएगा. क्योंकि आने वाले दिनों का पता नहीं राजनीति में और कितनी कीचड़ उछलने वाली है. ख़ैर, उम्मीद की जानी चाहिए कि जनता जो भी फैसला करेगी अच्छा ही करेगी.

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