पिघली शिमला की बर्फ!

सदियों पुरानी परम्परा. राजनीति में हर बार आता रहा हैं उबाल. पौराणिक युग और प्राचीन काल. बार-बार होती रही है महाभारत. कभी धर्म के लिए, कभी कर्म के लिए और महंगी कीमत भी चुकानी पड़ी है. अब बात कलियुग की है.
यहां भारतीय जनता पार्टी में से उगल रही है आग. जो दूर तक फैल रही है. इस गर्मी से शिमला की बर्फ भी पिघलने लगी हैं. फिलहाल कोई भी इसके नतीजों का अंदाजा नहीं लगा पा रहा है. कुछ अच्छा होगा या बुरा. कहा जाता है जब दीया बुझाता है, तो और अधिक प्रकाश देता है. अंतत वह बूझ जाता है. लेकिन ऐसा भी तो सकता है भाजपा अपना दीया बुझने से पहले ही दूसरी 'बाती' लगा लें और वह दीया फिरउसी तरह प्रकाशमान हो जाएं या उससे भी बेहतर जलने लगे. क्योंकि सभी कहते हैं 'बी-पॉजिटिव'. ऐसा हो सकता है भाजपा 'पॉजिटिव' सोच रही हो और शेष 'नेगेटिव'.
हालांकि, यह कहना अभी मुश्किल होगा. भाजपा के जसवंत सिंह हमेशा से विवादित नेता रहे हैं. जिन्ना पर छिड़ा विवाद आखिर यहां तक कैसे पहुंच गया. किताब भी प्रतिबंधित हो गई, लेकिन किताब को बहुत से लोग पड़ना चाहते हैं. जसवंत को मालूम इतिहास को सभी जानना चाहते हैं. पार्टी में ऐसा पहली बार भी नहीं हुआ है. ऐसा भी नहीं है कि ऐसा किसी अन्य पार्टी में नहीं होता है. दूसरी पार्टियां भी भुगत भोगी हैं. शिमला में आयोजित 'चिंतन' बैठक महत्वपूर्ण है. यहां होने वाला मंथन अगले पांच बरस तक काम आने वाला है. इसमें आगे और भी कई मोड़ आ सकते हैं.

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