यादों में बसे हैं देव साहब
यह बात उस दौर की है जब देव आनंद को फिल्मों में एंट्री करने के लिए बड़ा संघर्ष करना पड़ा। उस वक्त एक मशहूर अभिनेता ने तो यहां तक कह दिया था कि वह किसी भी एंगल से अभिनेता नहीं लगते हैं। उनके बड़े भाई चेतन आनंद का भी उस वक्त फिल्मों में कोई अस्तित्व नहीं था, रंगमंच पर जरूर काम करते थे। मजे की बात तो यह है कि जब देव साहब सुपर स्टार बन गए तब दोनों ने एक साथ काम भी किया। देव साहब के जिगरी अभिनेता, निर्माता-निर्देशक गुरुदत्त ने भी उस वक्त तक कोई खास मुकाम हासिल नहीं किया था। 1946 में जब 'हम एक हैं' फिल्म से देव साहब ने फिल्मों में एंटी कर ली। इसी फिल्म में गुरु दत्त भी पर्दे पर दिखाई दिए और दोनों जिगरी दोस्त बन गए। इसी साल बड़े भाई चेतन आनंद द्वारा निर्देशित 'नीचा नगर' भी प्रदर्शित हुई। इसके बाद देव साहब फिल्मी पर्दे पर छाने लगे। चेतन व देव साहब यानी दोनों भाइयों ने एक साथ पहली बार 1950 में 'अफसर' फिल्म में काम किया। चेतन निर्देशक थे और देव साहब अभिनेता। अपने होम प्रॉडक्शन की यह फिल्म फ्लॉप हो गई।इसके एक साल बाद ही 1951 में गुरु दत्त व देव साहब ने काम किया। 'हम एक है' में तो दोनों पर्दे पर दिखे, लेकिन इस बाद गुरु दत्त पर्दे के पीछे (निर्देशक) रहे और देव साहब बने हीरो। दोनों के मिश्रण से उभर कर आई क्राइम थ्रिलर 'बाजी', जो बॉक्स ऑफिस पर सुपर हिट साबित हुई। इसके बाद दोनों की 1952 में 'जाल', 1956 में 'सीआईडी' भी सुपर हिट रही। 1953 में उनकी बाज फिल्म कोई कमाल नहीं दिखाई पाई थी। दोनों ने गिनीचुनी फिल्मों में ही भले ही काम किया, लेकिन दर्शकों का मनोरंजन करने में कोई कमी नहीं छोड़ी। तब तक सिनेमाई पर्दे पर देव साहब का डंका बज चुका था। उनकी हर स्टाइल दर्शकों को लुभाने लगी। बाद में गुरु दत्त ने संवेदनशील फिल्मों की तरफ रुख कर लिया। 1956 में ही देव साहब के छोटे भाई विजय आनंद भी बतौर निर्देशक फिल्मों में एंटी कर चुके थे। 'नौ दो ग्याहर' उनकी पहली फिल्म थी, जो देव आनंद अभिनीत थी। फिर देव व गुरु दत्त को एक साथ काम करने का मौका नहीं मिला। 1965 में विजय आनंद द्वारा निर्देशित और देव साहब अभिनीत 'गाईड' फिल्म जबर्दस्त हिट हुई। बतौर निर्माता व अभिनेता देव साहब बहुत कामयाब रहे, 1970 में निर्देशन के मैदान में भी उतर आए और 'प्रेम पुजारी' का निर्देशन किया। हालांकि इसी साल विजय आनंद के निर्देशन में बनी 'जॉनी मेरा नाम' ब्लॉकबस्टर साबित हुई। देव आनंद, गुरु दत्त, चेतन आनंद व विजय आनंद सभी ने अपने क्षेत्र में अपने आपको साबित करके दिखाया था। पर इस राह के उनके साथी बारी बारी बिछुड़ते चले गए। अगर देव साहब का फिल्मी कॅरिअर देखें तो उन्होंने अपने आपको कभी नहीं टूटने दिया। इस उम्र में भी जब फिल्म निर्देशन किया तो नए कलाकारों को ही पर्दे पर उतारा। उनकी आखिरी फिल्म इसी साल 'चार्जशीट' रिलीज हुई थी।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें