मतिभ्रम था एंटी वायरस, डाउनलोड हो गया वायरस



antivirus or virus



जिसे फ्री वाला एंटी वायरस समझकर डाउनलोड कर लिया गया था दरअसल वह वायरस की भांति काम करने लगा है. अब कोई भी यह कह सकता है कि वह सिर्फ मतिभ्रम था. या कोई ऐसा आवरण था जो ज्यादातर  की आंखों पर चढ़ गया था, जिसके बाहर कुछ दिखाई नहीं दे रहा था. जो दिखाया जा रहा था वही दिख रहा था. इस वायरस की गतिविधियां देखकर लगता है कि अब पहले जैसा कुछ नहीं रहा. कुछ का आवरण उतर चुका है और कुछ की आंखों से उतरना शेष है. यह भी हो सकता है कि यह शुरू से ही वायरस था, लेकिन जिस तरह से इसकी मार्केटिंग की गई उससे ऐसा लगने लगा था कि यह एंटी वायरस है. और यह वातावरण में घुले वायरस का खात्मा कर सकता है. परंतु अब यही एंटी वायरस भींईईई... भींईईई... की आवाज करने लगा है. इससे स्पष्ट हो गया है कि यह एंटी वायरस नहीं बल्कि वायरस है. और वायरस से ​सिस्टम खराब होता है उससे सिस्टम कभी सुधर नहीं सकता। या सुधार करने जैसा खयाल नहीं पालना चाहिए. इस वायरस का सबसे खराब परिणाम नोटबंदी और जीएसटी के तौर पर निकलकर सामने आए. नोटबंदी और जीएसटी के बाद पहली दिवाली जैसे तैसे कर मना ली. फीकी—फीकी सी. व्यापार सुस्ता रहा. बाजार इंतजार करते रह गए. उस पर  नोटबंदी की पहली बरसी आ गई जख्म कुरेदने. वायरस पक्ष विनम्रता से कह रहा है कि इनके सुखद दूरगामी परिणाम आएंगे. परंतु नोटबंदी के एक वर्ष बाद में सुखद जैसा शब्द बेईमान सा लगता है. रही बात जीएसटी की तो बार—बार सुधार की पहल करने की स्थिति दर्शा रही है कि वे खुद इसे गलत मान रहे हैं. वरना सुधार की नौबत कहां आती. फिलहाल, इसके दुष्परिणाम कब तक भुगतने पड़ेंगे कह नहीं सकते. अब यह वायरस दुबारा से एंटी वायरस में तब्दील होता है या नहीं इसकी पड़ताल गुजरात के महासंग्राम के बाद ही साफ होगा. बहरहाल, न तो इसे स्वच्छ भारत मिशन व डिजिटल इंडिया में ही कामयाबी मिली, न ही महंगाई काबू में आ पाई. 

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