दलितों पर अस्पृश्यता का दंश
देश के राष्ट्रपति दलित है, लेकिन क्या इससे दलितों की स्थिति में सुधार हो पाया; नहीं। शायद कभी हो पाए इसकी गारंटी भी नहीं। शादी में दलित दुल्हे को घोड़ी पर नहीं बैठने दिया जाता है। अगर घोड़ी पर सवार हो भी जाते हैं तो उन्हें जबरन घोड़ी उतरने को मजबूर कर किया जाता है। राजस्थान में ही नहीं, बल्कि देश के कई हिस्सों में आज भी दलित इसका दंश झेल रहे हैं। जहां उच्च वर्ग के लोगों के कारण उनका झुकना लाचारी बन जाता है। क्या उनको सम्मान के साथ जीने का अधिकार नहीं है। इनमें से कुछ ही मामले ऐसे होते हैं, जो सामने आ पाते हैं और बहुत से मामले दब जाते हैं या दबा दिए जाते हैं। दलित दुल्हे को घोड़ी पर बैठने के लिए पुलिस से सुरक्षा मांगनी पड़ रही है। सरकार भी सुधार के नाम पर मात्र दिखावा करती है। कोई सख्त कार्रवाई नहीं करती है।
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