नीरव मोदी को भगाने में कांग्रेस की बड़ी भूमिका?
नीरव मोदी को देश से भगाने में कांग्रेस की बड़ी भूमिका रही है? कांग्रेस को इसमें महारत हासिल है? कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरने की कोशिश कर रहे हो लेकिन इस झूठ में सच को छुपाया नहीं जा सकता। क्योंकि कांग्रेस इससे पहले शराब कारोबारी विजय माल्या को भी भगा चुकी है।
दरअसल, कांग्रेस यह समझ चुकी थी कि अगर नीरव मोदी सरकार के जाल में फंस गए तो लोकसभा चुनाव में उनको चंदा मिलना मुश्किल हो जाएगा। नीरव मोदी 13 हजार करोड़ रुपए का घोटाला करके यहां से भागा है। यह पैसा अब कांग्रेस लोकसभा के चुनावी चंदे के रूप में काम लेगी। विजय माल्या से भी कांग्रेस चुनावी चंदा ले चुकी है। विजय माल्या 9 हजार करोड़ का घोटाला करके भारत से भागा है। मेहुल चौकसी से भी कांग्रेस की नजदीकियां रही हैं। राजनीतिक गलियारों और कारपोरेट जगत में यह बात किसी से छुपी नहीं है।
दरअसल, कांग्रेस 1984 में भोपाल गैस त्रासदी के वक्त मुख्य अभियुक्त एंडरसन को भगाने में कामयाब रही थी। जानकार कहते हैं कि मुख्य अभियुक्त एंडरसन को तो एयरपोर्ट पर छोड़ने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी खुद गए थे। भोपाल गैस त्रासदी में लाखों लोग मारे गए थे लेकिन कांग्रेस ने हमेशा इस मामले को दबाने की कोशिशें कीं। कांग्रेस भोपाल गैस त्रासदी पर संवेदनशील होने की बजाय राजनीति करती रही। कांग्रेस ने अपने स्याह इतिहास के बावजूद कभी सबक नहीं लिया। इधर, भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद से किसी भी कीमत पर हटाना चाहती है। ताकि फिर से नेहरू गांधी परिवार का सदस्य प्रधानमंत्री बन सके। अगर कांग्रेस से कोई दूसरा नेता भी प्रधानमंत्री बनता है तो भी वह राहुल गांधी और सोनिया गांधी से पूछे बिना एक कदम भी नहीं बढ़ता। और अब तो प्रियंका गांधी भी आ गई है। कल रॉबर्ट वाड्रा का भी कांग्रेस में पर्दापण हो जाएगा तो उनकी इजाजत भी लेनी पड़ेगी। जैसे 10 साल तक प्रधानमंत्री रहते मनमोहन सिंह को लेनी पड़ती थी। भाजपा के नेता कहते हैं कि केंद्र में कांग्रेस के शासन के दौरान रोजाना कोई न कोई घोटाला उजागर होता था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सही कहते हैं कि कांग्रेस और भ्रष्टाचार एक दूसरे के पर्यायवाची बन गए हैं। खैर, यह तो देशवासी ही तय करेंगे कि लोकसभा चुनाव में भाजपा की सरकार बननी चाहिए या कांग्रेस की।
दरअसल, कांग्रेस यह समझ चुकी थी कि अगर नीरव मोदी सरकार के जाल में फंस गए तो लोकसभा चुनाव में उनको चंदा मिलना मुश्किल हो जाएगा। नीरव मोदी 13 हजार करोड़ रुपए का घोटाला करके यहां से भागा है। यह पैसा अब कांग्रेस लोकसभा के चुनावी चंदे के रूप में काम लेगी। विजय माल्या से भी कांग्रेस चुनावी चंदा ले चुकी है। विजय माल्या 9 हजार करोड़ का घोटाला करके भारत से भागा है। मेहुल चौकसी से भी कांग्रेस की नजदीकियां रही हैं। राजनीतिक गलियारों और कारपोरेट जगत में यह बात किसी से छुपी नहीं है।
दरअसल, कांग्रेस 1984 में भोपाल गैस त्रासदी के वक्त मुख्य अभियुक्त एंडरसन को भगाने में कामयाब रही थी। जानकार कहते हैं कि मुख्य अभियुक्त एंडरसन को तो एयरपोर्ट पर छोड़ने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी खुद गए थे। भोपाल गैस त्रासदी में लाखों लोग मारे गए थे लेकिन कांग्रेस ने हमेशा इस मामले को दबाने की कोशिशें कीं। कांग्रेस भोपाल गैस त्रासदी पर संवेदनशील होने की बजाय राजनीति करती रही। कांग्रेस ने अपने स्याह इतिहास के बावजूद कभी सबक नहीं लिया। इधर, भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद से किसी भी कीमत पर हटाना चाहती है। ताकि फिर से नेहरू गांधी परिवार का सदस्य प्रधानमंत्री बन सके। अगर कांग्रेस से कोई दूसरा नेता भी प्रधानमंत्री बनता है तो भी वह राहुल गांधी और सोनिया गांधी से पूछे बिना एक कदम भी नहीं बढ़ता। और अब तो प्रियंका गांधी भी आ गई है। कल रॉबर्ट वाड्रा का भी कांग्रेस में पर्दापण हो जाएगा तो उनकी इजाजत भी लेनी पड़ेगी। जैसे 10 साल तक प्रधानमंत्री रहते मनमोहन सिंह को लेनी पड़ती थी। भाजपा के नेता कहते हैं कि केंद्र में कांग्रेस के शासन के दौरान रोजाना कोई न कोई घोटाला उजागर होता था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सही कहते हैं कि कांग्रेस और भ्रष्टाचार एक दूसरे के पर्यायवाची बन गए हैं। खैर, यह तो देशवासी ही तय करेंगे कि लोकसभा चुनाव में भाजपा की सरकार बननी चाहिए या कांग्रेस की।
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