कोरोना को मोदी की नई चाल समझ रही यह 'जमात'
कोरोना ने दुनिया को जकड़ लिया है लेकिन भारत के मुसलमान अभी यह मान रहे हैं कि यह सीएए और एनआरसी के विरोध को दबाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोई नई चाल है। वे मानना ही नहीं चाहते हैं कि कोरोना नाम की बीमारी भी है जबकि कोरोना से पाकिस्तान तक नहीं बचा है। मुस्लिम समुदाय के ज्यादातर लोग अभी यह मान रहे हैं तबलीगी जमात मरकज पर कार्रवाई प्रतिशोध के कारण की गई है और बेवजह उनको कोरोना संक्रमित बताया जा रहा है। वे अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दोषी ठहरा रहे हैं। दूसरी तरफ अब तक किसी भी राजनीतिक दल ने इस कार्रवाई को गलत नहीं बताया है। हालांकि मोदी विरोधी कई नेताओं के सीने में यह कार्रवाई तीर की भांति लगा है लेकिन कोई टीका टिप्पणी नहीं करना चाहता। कारण साफ है कि दुनिया में कोरोना से मौत का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है और कोरोना के सच से हर कोई वाकिफ है। यहां तक कि इस जमात की हिमायती कांग्रेस इटली का बुरा हाल देख चुप है।
मुस्लिम समुदाय की ओर से लॉकडाउन को भी एक साजिश करार देते हैं। उनका मानना है कि यह उनको नमाज पढ़ने से रोकने के लिए किया जा रहा है जबकि हकीकत यह है कि देश में बड़े बड़े मन्दिर लॉकडाउन से पहले ही बंद हो गए थे। भक्तों के जाने पर रोक लगा दी गई थी। यानी सरकार के कदम उठाने से पहले ही मंदिरों ने सतर्कता बरतनी शुरू कर दी थी। फिर भी मुस्लिम समुदाय ऐसा मानना गलत है। मौलाना साद ने बयान दिया भी था कि यह मुसलमानों को मुसलमानों से अलग करने की साजिश है।
इधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जनता के करीब आते जा रहे हैं। उनके हरेक निर्णय को ऐतिहासिक बताया जा रहा है। अब आज रात 9 बजे घर की बिजली बंद करके घर के द्वार पर 9 मिनट दीया, मोमबत्ती, टॉर्च या मोबाइल की फ्लैश लाइट जलाने के आव्हान को लेकर भी जनता में खास उत्साह बना हुआ है।
22 मार्च को जनता कर्फ्यू के दौरान भी शाहीन बाग में महिलाएं धरने पर बैठी हुई थी, भले ही उनकी संख्या कम थी। हालांकि लॉकडाउन के बाद बल प्रयोग से सबका धरना उठवाया गया लेकिन भारत में इतनी बड़ी आफत आने के बाद भी मुस्लिम समुदाय न सिर्फ खुद की जान खतरे में डाल रहे हैं बल्कि दूसरों की भी। हालांकि मुस्लिम समुदाय के समझदार लोग इसके गंभीरता से वाकिफ है और उन्होंने पूरी एहतियात भी बरत रखी है।
यहां तक कि कई ऐसे वीडियो भी वायरल हो रहे हैं जिसमें वे अपनी हरकतों से बात नहीं आ रहे हैं। किसी वीडियो में फल बेचता ठेलावाला फलों पर थूक लगता नजर आता है तो किसी में कोई मौलाना गलत संदेश देता हुआ। इन्हीं गलत संदेशों से इनके दिमाग में जहर भरा जा रहा है। भारत में कई स्थानों पर मस्जिदों में नमाज पढ़ने से रोकने पर पुलिसकर्मियों पर पथराव और हमला करने के मामले भी सामने आ रहे हैं। जबकि इस दौरान डॉक्टर और पुलिस का ही सहारा बना हुआ है।
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